शिव की महिमा का बखान करना आसान नहीं है, परन्तु शिव की भक्ति में रमने वालों के लिए यह अद्वितीय अनुभव है। सावन के महीने में कांवड़ लेकर कांवड़िये बाबाधाम (देवघर) की यात्रा पर निकलते हैं और भगवान शिव के दर पर जलाभिषेक कर खुद को धन्य मानते हैं।
सुल्तानगंज से देवघर की यात्रा की मुख्य बातें
- यात्रा की दूरी: सुल्तानगंज से देवघर की दूरी 100 किलोमीटर से भी ज्यादा है।
- यात्रा के दौरान का माहौल: कांवड़िये बोल बम के जयकारे लगाते हुए यात्रा करते हैं। चाहे सामान्य कांवड़िये हों या दिव्यांग, सबका एक ही ध्येय होता है – “चल कांवड़िया, शिव की नगरिया”।
- शिव की भक्ति और शक्ति: शिव की आराधना की अदृश्य शक्ति कांवड़ियों को थकने नहीं देती और वे निरंतर आगे बढ़ते रहते हैं।
सुल्तानगंज से देवघर पैदल यात्रा MAP
सुल्तानगंज से देवघर पैदल यात्रा की प्रमुख घटनाएं और अनुभव
- भोले की भक्ति का असर: नेत्रहीन दुर्गेश, जो 1990 से हर सावन में सुल्तानगंज से बाबाधाम की पैदल यात्रा करते हैं।
- दिव्यांग भक्तों का संकल्प: पटना के मसौढ़ी के दो दिव्यांग भक्त, जो दस सालों से जल लेकर बाबाधाम जाते हैं।
- बुजुर्ग महिला कांवड़िया का संकल्प: अपने पति के जीवन की रक्षा की कामना पूरी होने पर दंडवत यात्रा करने का प्रण लिया।
सुल्तानगंज से देवघर पैदल मार्ग
स्थान | दूरी (किलोमीटर में) | विशेषता |
---|---|---|
सुल्तानगंज | 0 | गंगाजल भरना |
कहलगांव | 25 | विश्राम स्थल |
पीरपैंती | 50 | धार्मिक स्थल |
साहिबगंज | 75 | प्रमुख विश्राम स्थल |
देवघर | 105 | बाबा बैद्यनाथ धाम |
सुईया पहाड़ से देवघर कितना किलोमीटर है
63.1 km
यात्रा के दौरान ध्यान देने योग्य बातें
- भक्ति और संकल्प: मन में भोले की भक्ति और तन में शिव आराधना की अदृश्य शक्ति।
- साधन और सामग्रियां: गंगाजल, कांवड़, फल और जलाभिषेक के लिए आवश्यक सामग्री।
- सामूहिक यात्रा: जत्थे में यात्रा करना, जिससे आस्था की अनोखी तस्वीरें सामने आती हैं।
सुल्तानगंज से देवघर की पैदल यात्रा एक अद्वितीय अनुभव है जो भक्ति, संकल्प और आस्था की मिसाल है। चाहे सामान्य कांवड़िये हों या दिव्यांग भक्त, सबका एक ही ध्येय होता है – बाबा बैद्यनाथ की नगरी पहुंचकर जलाभिषेक करना और खुद को धन्य मानना।