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वायु प्रदूषण (Vayu Pradushan) से बचाव के उपाय एवं वायु प्रदूषण के कारण

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वायु हमारे जीवन का मुख्य स्त्रोत और आधार है। इसके बिना हम जीवन की कल्पना नहीं कर सकते हैं। वायु के बिना पेड़, पौधे, पशु, पक्षी और मानव एक पल जीवित नहीं रह सकते हैं। ये सब अनुभव होने के बाद भी हमलोग जीवन के उस पड़ाव पर पहुंच गए हैं। जहां वायु में प्रदूषण इस कदर फैल चुका है कि मानव जीवन यापन तो कर रहा है, लेकिन अनेकों बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। महानगरों के बाद अब गावों की हवा भी प्रदूषित हो रही है।

वायु प्रदूषण क्या है (Vayu Pradushan Kya Hai) और किसे कहते हैं

दरअसल, वायु प्रदूषण का मतलब वायु में ऑक्सीजन स्तर का कम होना है। वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा महज 20% है। कल-कारखानों से निकलनी वाली खतरनाक और जहरीली गैसों से वायु प्रदूषित हो रही है। साथ ही पेड़-पौधों की कटाई से कार्बन डाई ऑक्साइड का अवशोषण कम होने लगा है। इन वजहों से वायु प्रदूषण दिन व दिन बढ़ता जा रहा है। वायु में जहरीली गैसों की अधिकता और ऑक्सीजन की कमी की स्थिति को वायु प्रदूषण कहा जाता है।

वायु प्रदूषण के कारण (Vayu Pradushan Ke Karan) और वायु प्रदूषण कैसे फैलता है

वायु प्रदूषण कैसे होता है ????

व्यावहारिक तौर पर वायु प्रदूषण के कारण और वायु प्रदूषण दो तरीको से है।

  • प्राकृतिक घटना- जैसे ज्वालामुखी का विस्फोट, बाढ़, जंगलों में आग लगना। इन सब वजहों से वायु प्रदूषण फैल सकता है। ज्वालामुखी के विस्फोट से निकलने वाले गैसों से वायुमंडल दूषित होता है। वहीं, बाढ़ आने और उस त्रासदी में जानमाल की क्षति और उसके अपघटन से वायु दूषित होता है। प्राकृतिक आपदा को रोका और टाला नहीं जा सकता है, लेकिन विज्ञान की मदद से बचाव संभव है। हम सभी जानते हैं प्रकृति विनाश करती है, तो निर्माण भी करती है। वहीं, मानव विज्ञान के सहारे विकास के लिए विनाश के दरवाजे को भी खटखटाता है।
  • मानव द्वारा – धुएँ के बादलों को बसों, स्कूटरों, कारों, कारखानों की चिमनियों से निकलता , हालांकि, मानव विकास की आड़ में व्यापक रूप से वायु प्रदूषण फैला रहा है।

वायु प्रदूषण के फैलने का इतिहास

दरअसल, वायु प्रदूषण की शुरुआत 18वीं शताब्दी में हुईं थी। जब औद्योगीकिकरण के लिए दुनियाभर में होड़ लगी थी। इसके चलते पूरी दुनिया में बड़े-बड़े उद्योगों का निर्माण और विकास हुआ। यह होड़ आज भी बदस्तूर जारी है। कल-कारखानों से निकलनेवाले गैसों और उत्सर्जित पदार्थो ने वायु के साथ-साथ नदियों को भी प्रदूषित किया है। यह क्रम जारी है।

बढ़ती आबादी और तेजी से बढ़ते शहरीकरण के चलते पर्यावरण संरक्षण की समस्या सामने आ खड़ी है। इससे पेड़-पौधों की बड़ी तेजी से कटाई हो रही है। साथ ही संचार के साधनों के अप्रत्याशित वृद्धि से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। वायु प्रदूषण के खतरनाक परिणामों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली जैसे महानगरों में ऑड-इवन लागू करने के बाद भी प्रदूषण स्तर कम नहीं किया जा सका है। पेड़-पौधे वायु को शुद्ध रखने के मुख्य स्त्रोत है।

वायु प्रदूषण को कैसे नियंत्रित करें

इसके लिए सबसे पहले बढ़ती आबादी को नियंत्रित करना होगा, जो शहरीकरण और उद्योगों को बढ़ावा दे रही है। इन दो कारणों पर अंकुश लगाना अनिवार्य है। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सबसे पहले बड़े-बड़े उद्योगों को शहर से दूर स्थापित करना होगा। साथ ही छोटे-छोटे शहरों और गावों में भी लघु और कुटीर उद्योगों की स्थापना करनी होगी। जहां उद्योगों की स्थापना हो, उसके आसपास बड़े-बड़े पेड़-पौधे लगाएं। खासकर पीपल और नीम के पेड़ लगाने चाहिए। ये पेड़ कल- कारखानों से निकलने वाले धुओं को अवशोषित कर उसे ऑक्सीज़न में परिवर्तित कर सकें। ऐसा करने से वायुमंडल में संतुलन बना रहेगा। पेड़ -पौधों के काटने पर मनाही होनी चाहिए। इसके लिए सख्त कानून बनाने की जरुरत है। हालांकि, सरकार द्वारा वन्य क्षेत्रों को बढ़ाने और वृक्षारोपण जैसे कार्य किए जा रहे हैं। कारखानों से अवशिष्ट पदार्थ के लिए कुछ ऐसा तकनीक अपनाना चाहिए, जिससे वायु को दुषित होने से बचाया जा सके और उनका इस्तेमाल भी हो पाए। इसका उदाहरण सोलर सिस्टम है, जिसे हर जगह प्राथमिकता दी जा रही है।

सरकार को सुरक्षा का ख्याल रखते हुए सड़क के दोनों तरफ वृक्षारोपण का अभियान चलाना चाहिए। आजकल महानगरों और छोटे शहरो में संचार के साधनों द्वारा धुंए निकलते हैं। उससे वायुमंडल में मिथेन गैस की मात्रा बढ़ती जा रही है। संचार के साधनों का इस्तेमाल किए बिना नहीं रह सकते है, क्योंकि ये साधन मानव जीवन की आजीविका के आधार हैं, लेकिन विकल्प भी जरूरी है। बैटरी से चलनेवाले वाहन के इस्तेमाल को धीरे-धीरे प्राथमिकता देकर पेट्रोल और डीजल वाले वाहनों से निजात पाना होगा। इससे बहुत हद तक हवा को शुद्ध किया जा सकता है और ये करना भी अनिवार्य हो गया है। महानगरों की हवा इस कदर प्रदूषित हो गई है कि सांस लेना दूभर हो गया है। इससे फेफड़े और सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।

वायु प्रदूषण के प्रभाव

वायु प्रदूषण के प्रभाव से छोटे-छोटे बच्चे सांस से संबंधित और फेफड़ों के रोग के शिकार हो रहे हैं। ये बच्चे ही हमारे जीवन और राष्ट्र की नीव हैं। इसके लिए वायु प्रदूषण पर नियंत्रण बहुत जरूरी हो गया है। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए हमें स्वार्थ और एकल मानसिकता से बाहर निकलना होगा। इसके बाद ही वायु प्रदूषण को रोकने में मदद मिलेगी। अगर समय के साथ वायु प्रदूषण को फैलने से रोकने के लिए अप्रत्याशित कदम नहीं उठाया जाता है, तो इसका परिणाम समस्त पृथ्वीवासियो को भुगतना पड़ेगा। वायु प्रदूषण से निजात पाने के लिए Go Green पद्धति को फॉलो करना अनिवार्य है।

वायु प्रदूषण से बचाव

डॉक्टर्स हमेशा वायु प्रदूषण से बचाव के लिए मास्क पहनने की सलाह देते हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए मास्क अनिवार्य है। वहीं, वायु प्रदूषण से बचाव के लिए मास्क पहनकर घर से बाहर निकलें। रोजाना सुबह में प्राणायाम करें। इसके लिए सांस संबंधी योगासन जरूर करें। इससे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर सामान्य बना रहेगा। इसके अलावा, रोजाना काढ़ा का सेवन करें। इससे न केवल इम्यून सिस्टम मजबूत होता है, ब्लकि सांस संबंधी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। अपने घर के आसपास पेड़ लगाएं। आप चाहे तो घर में तुलसी समेत कई अन्य पौधे लगा सकते हैं। अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भी पेड़ लगाने की सलाह दें। वायु प्रदूषण से बचाव के लिए इन टिप्स को जरूर अपनाएं।

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